Friday, December 15, 2017

Keh diya......

तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली; मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली;

नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते;
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली;

तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था;
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली;

फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी; अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली;

बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद में हमें;
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली !!

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