Monday, February 4, 2019

प्यार की बातें मना....

प्यार की बातें मना जिस देश में,
प्यार के गाने वहाँ सबसे अधिक ।
जहाँ पर बन्धन समाजिक बहुत हैं,
वहाँ के गायक-सुकवि खासे रसिक ।

इश्किया अन्दाज में लिखते सभी,

जहाँ होने चाहिए थे कवि-श्रमिक ।

पिंजरे में.....

मुलाहिज़ा हो मेरी भी उड़ान, पिंजरे में मुलाहिज़ा हो मेरी भी उड़ान, पिंजरे में अता हुए हैं मुझे दो जहान‍, पिंजरे में है सैरगाह भी और इसमें आबोदाना भी रखा गया है मेरा कितना ध्यान पिंजरे में यहीं हलाक‍ हुआ है परिन्दा ख़्वाहिश का तभी तो हैं ये लहू के निशान पिंजरे में फलक पे जब भी परिन्दों की सफ़ नज़र आई हुई हैं कितनी ही यादें जवान पिंजरे में तरह तरह के सबक़ इसलिए रटाए गए मैं भूल जाऊँ खुला आसमान पिंजरे में

हिन्दु तन मन..... अटल बिहारी बाजपेयी

हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय / अटल बिहारी वाजपेयी मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

Mai kaun hu.....

Main Kaun Hun..... I Aksar ye sawaal pooch kar pareshaan karte hai log....

https://youtu.be/-0V6BoP_OI0

Wednesday, January 3, 2018

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Friday, December 15, 2017

Keh diya......

तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली; मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली;

नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते;
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली;

तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था;
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली;

फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी; अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली;

बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद में हमें;
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली !!

कभी तो तेरे.......

दर्द कब किसका सगा हुआ इसने भी
उड़ जाना है एक दिन बनकर धुँवा, भूल जा जो हुआ सो हुआ , कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

कब तक असर करेगी ज़माने की बद्दुआ
हर कोई यहाँ से गया जो था यहाँ आया,
हमेशा आग बुझने पर निकालता है धुँवा.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

क्या हुआ गर तेरा कोई नहीं हुआ
जीतता वही है जो अकेला है जीया,
ख़ुशी पायी उसने जिसने गम को है पीया.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

गीता ने कहा जो हुआ अच्छा हुआ,
फिर तू क्यूँ है सोच में डूबा हुआ ,
जीवन वरदान है भगवान का दिया हुआ.
कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ,

कदम ना हटा पीछे जो आगे बढ़ा दिया, ना डर तू दुनिया से ना कदम को तू डगमगा तू ही है रौशनी तू ही है दीया, कभी तो तेरे भी काम आएगी किसी की दुआ !!
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